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चीन को हराने के लिए चल दी नई चाल ..

चीन को हराने के लिए चल दी नई चाल ..

इस ब्लॉग पर आपका  बहुत-बहुत स्वागत है तो चीन को हराने के लिए भारत और अमेरिका ने बड़ी चाल चल दी है अब वह क्या है आपको बता दूं कि चाइना जो है वह क्रिटिकल मिनरल्स में आगे है देखिए एक कोई देश कैसे आगे बढ़ता है वह देश आगे बढ़ता है अपने पैसे से और चाइना इस समय हर एक चीज पैसे से कंट्रोल कर रहा है उसके पास पैसे आ कहां से रहे हैं इन्हीं चीजों से तो अब भारत और अमेरिका ने इस डील को साइन किया इस मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग को साइन किया की  क्रिटिकल मिनरल्स पे हम 70 पर ये चाइना से मंगाते हैं तो ये डिपेंडेंस कम करेगा

 

तो भारत और अमेरिका ने एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन किया है यह बहुत बड़ी बात है और इसमें माइनिंग देखिए माइनिंग और प्रोसेसिंग ऑफ क्रिटिकल मिनरल्स जैसे अमेरिका कहता है कि —35 क्रिटिकल मिनरल जो कि बहुत इंपॉर्टेंट है और जब देखिए भारत में इसके रिजर्व्स है नहीं है वी डोंट नो वैसे तो अभी तक तो ऐसा  हो नहीं  सकता, होंगे ही भारत में है ना यह आपको रिजर्व्स मिलेंगे चाइना में तिब्बत में तभी चाइना के लिए ये  बहुत इंपोर्टेंट है,

चीन को हराने के लिए चल दी नई चाल ..

… सेंट्रल एशियन रीजन में कागर में तभी तो चाइना काजग और जिंज प्रोविंस को इतना बचाता है तभी वो यहां पर कब्जा कर रहा है अगर ये आप चिकन ने कॉरिडोर या इधर साइड देखो ना उसकी जो फाइव फिंगर स्ट्रेटेजी है कि भाई अपने एनर्जी सोर्सेस को देखिए रिस्टोर करो प्रोटेक्ट करो होता क्या है कि जैसे मान लीजिए कोई मैं आपको बोल रहा था कि कोई भी देश कैसे आगे बढ़ेगा ठीक है ना अब जैसे यह चाइना है तो चाइना कैसे आगे बढ़ता है चाइना इतना आगे क्यों है चाइना इतना आगे है मनी की वजह से पैसा मेन यह पैसा कहां से आ रहा है यह पैसा आ रहा है इसकी इंडस्ट्री से इसके लेबर से यह इंडस्ट्री से रॉ मटेरियल कहां से मिल रहा है यह इंडस्ट्री से रॉ मटेरियल या फिर जो भी इसको यू नो इस इंडस्ट्रीज को ड्राइव कर रहे हैं व यही क्रिटिकल मिनरल्स है जो बहुत बड़ी बड़ी टेक्नोलॉजी में काम आते हैं यह मेन क्रिटिकल मिनरल्स है अब ये क्रिटिकल मिनरल्स कहां से आ रहे हैं यह आ रहे माइनिंग से ठीक है और ये माइनिंग कैसे हो रही है क्योंकि चाइना ने अपने आर एनडी और साइंस एंड टेक प बहुत खर्चा किया है तो ये एक पूरी साइकल है तो हमको यहां पे आना है जब तक हम आर एनडी प खर्चा नहीं करेंगे साइंस एंड टेक प तब तक इतना होगा नहीं अब इसके लिए रिजर्व भी चाहिए आपको माइनिंग करनी पड़ेगी तो हो सकता है भारत में हो इस पर ध्यान देना पड़ेगा हो सकता है ना भी हो तो अगर नहीं है जो कि अभी तो नहीं है तो हम दूसरे देशों पर डिपेंडेंट है

हम अभी चाइना पर डिपेंडेंट है अब आपको बता दूं कि जो क्रिटिकल मिनरल्स आप देख रहे हो ये ये बहुत इंपोर्टेंट रहे मैंने क्या बताया कि ये किसी भी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाएंगे तो यहां पे पीयूष गोयल यही बताया कि हमने क्रिटिकल मिनरल्स के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन किया है अमेरिका के साथ और यह बहुत इंपॉर्टेंट रहेगा क्योंकि इसमें ये हमारा लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप एग्रीमेंट है और ये स्टार्टिंग पॉइंट रहेगा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए बहुत बड़ी बात है अब बाय क्रिटिकल मिनरल से जो भी आपके प्रोडक्ट बनेंगे अगर मान लीजिए जैसे अमेरिका को कोई प्रोडक्ट बेचता है या हम बेचते हैं तो जब दूसरे देशों में आप बेचेंगे वहां पर तो ड्यूटीज टैक्स लगता है टैरिफ लगते हैं तो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का मतलब क्या है कि बिल्कुल नेगलिजिबल है दूसरे प्रोडक्ट की आपके प्रोडक्ट की दूसरे देशों में एंट्री होगी और हम सबको पता है जैसे देखिए प्रोडक्ट की एंट्री बहुत बढ़ी है जैसे अगर इंडिया जो है इंडिया मान लीजिए आप ब्रिटिश छोड़िए इंडिया अभी चलिए अच्छा इंडिया जैसे क्रिटिकल मिनरल्स से कोई भी अपनी बैटरी जो है वो अमेरिका में बेचता तो वो सस्ती बिकेगी है ना क्योंकि हमारी लेबर कॉस्ट कम है बाकी बहुत सारी इसीलिए पूरी दुनिया में अमेरिकन जो इंडियन लेबर्स हैं या चाइना के लेबर्स हैं चाहे वो इंजीनियर्स हो चाहे कोई उनको एंप्लॉय किया जाता है क्योंकि सस्ते होते हैं और इनके ज्यादा नखरे नहीं होते इंडियंस हर तरीके से काम करेंगे बहुत मेहनती होते हैं और इसीलिए बड़ी-बड़ी पोजीशंस पर भी है तो आप यह समझिए कि अगर यह अमेरिका में एंट्री कर गए तो मार्केट डिसर पट हो जाएगा मार्केट डिसर पट होगा ना इसीलिए इसको बचाने के लिए ट्रेड एग्रीमेंट जैसे सिद्धांत अग नहीं होत की कोई कंपनी है भले भारत में मैं लाखों कमार लेकिन मुझे अरबों कमाने तो मैं चाहूंगा मेरा माल बाहर बिके क्योंकि बाहर वाले मेरा माल हाथों हाथ लेंगे ठीक है तुरंत लेंगे अमेरिका यूरोप में क्वालिटी प्रोडक्ट बहुत तगड़ी तरीके से बिकते हैं

 

तो ये कोर्सेस फटाफट बिकेंगे लेकिन वहां पर एंट्री बैरियर है तो इसीलिए पीयूष गोयल ने बोला है कि य शुरुआत है एफटीएफ ट्रेड एग्रीमेंट के लिए अब क्रिटिकल मिन मिनरल्स वो होते हैं जो कि आज मैंने क्या बताया कि अगर आपको मॉडर्न बनना है आप मिसाइल उठा लो आप बैटरी उठा लो आप जो भी एआई उठा लो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर जितनी मॉडर्न डे टेक्नोलॉजी बन रही है वो इसके बिना पॉसिबल है ही नहीं यह रॉ मटेरियल है एटॉमिक स्ट्रक्चर इनका इस तरी से होता है डी ब्लॉक एलिमेंट्स होते हैं ये ठीक है इतने जबरदस्त तरीके से क कि आसानी से ये यू नो आपको एनर्जी देंगे और आप इनको यूज करके इनका कोई भी क्रांतिकारी चीज बना सकते हो तो मोबाइल फोन से लेकर कंप्यूटर बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल टरबाइन सब में ये यूज होता है समझ रहे हो तो अब जैसे यहां पे लिथियम जैसे आप बैटरी में यूज हो रहा है जितनी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल है जो कि फ्यूचर है उसमें लिथियम और आप हम सबको पता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल ओला में भी काफी जदा बबाल चल रहा है कितने महंगे बिकते हैं ग्रेफाइट जो है वो इंजन ऑयल ऑटोमोबिल इंडस्ट्री में यूज होता है एयर इंडस्ट्री में यूज होता है इसके

 

और इसीलिए चाइना को चाइना के पास इन मिनरल्स की कमी नहीं है और इसीलिए हमारे लिए एससीओ बहुत इंपोर्टेंट हो जाता है क्योंकि जो सेंट्रल एशियन कंट्रीज है उनके पास इन मिनरल्स के भंडार है अब चाइना का इन सेंट्रल एशियन कंट्री से 100 बिलियन डॉलर का कारोबार है हमारा सिर्फ दो बिलियन डॉलर का है तो वही है यह सब जगह यूज होता है और इसीलिए इसको देखते हुए जो हमने मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग अमेरिका के साथ साइन किया है बहुत बढ़िया है रेयर अर्थ मेटल आपने 12थ क्लास में जो भी साइंस स्टूडेंट्स के होंगे उन्होंने ये सब पढ़ा होगा केमिस्ट्री में ठीक है ना एसपीडीएफ ब्लॉक्स होता है ना पीरियोडिक टेबल को इन ब्लॉक्स में बांटा जाता है एस ब्लॉक पी ब्लॉक पी ब्लॉक तो बहुत बड़ा चैप्टर था लेकिन बड़ा मजा आता था 12 से लेकर 17 तक अभी तक चलिए छोड़िए अच्छा तो भाई क्या हेवी रेयर अर्थ मेटल लाइट रेयर अर्थ मेटल ये सब ये जितने भी आपको दिख रहे हैं ना ये लंथनाइड एक्टनाइड सीरीज तो अभी चाइना के ऊपर डिपेंडेंट है लेकिन यूएस ऑस्ट्रेलिया जापान यह सब काम कर रहे हैं ताकि सिक्योरिटी ये जो क्रिटिकल मिनरल्स है ना इनकी सप्लाई चेन में प्रॉब्लम ना हो देखिए हमारा जो क्वाड के साथ रिलेशन है और ब्रिक्स यह कमाल है ठीक है क्वाड स्पेशली क्योंकि देखिए अमेरिका और जापान एंड ऑस्ट्रेलिया यह तीनों देश क्या कर रहे हैं इन तीनों देश के पास ताकत है क्रिटिकल मिनरल्स की अब हम यह सप्लाई चेन बना रहे हैं ये आज के जमाने में आज की दुनिया में सबसे ताकतवर ग्रुपिंग है क्वाड और हमको इसी पे ही फोकस करना चाहिए तो एक प्रॉपर सप्लाई चेन बना रहे हैं और उसमें जाहिर सी बात है कि सेकंड स्टेप होगा एटी है एक बार चीजें बन गई तो आसानी से मार्केट में एंटर कर जाए तो ऑलरेडी अमेरिका और जापान ने एक पार्टनरशिप एग्रीमेंट साइन किया है जिसमें जो नॉन अमेरिकन क कं कंपनीज है उनका एडवांटेज मिलेगा ये बहुत अच्छी बात है कि जापान के अब जापान तो भाई जापान है तो जापान के प्रोडक्ट आसानी से जो है वो घुस जाएंगे अमेरिकन मार्केट में और पीयूष गोयल ने भी यही बोला है कि भाई देखिए हम जो चीजें होंगी ठीक है जैसे अमेरिका के जो ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव्स थे उन गिना राय मंडोत हमने प्रॉपर डिस्कशन किया और यही देखा कि जो भी ट्रेड इश्यूज हैं उनको हम सॉल्व करेंगे तो मैसिव चेंज हमको इंडिया की पॉलिसी में देखने को मिला है इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी सिस्टम में देखने को मिला है और वही है कि जैसे अभी भारत अमेरिका ने सेमीकंडक्टर अमेरिका जो है वो मिलियंस बिलियंस ऑफ डॉलर सेमीकंडक्टर में भारत में इन्वेस्ट करेगा ठीक है |

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